चामला नदी पर दो बैराज के लिए सर्वे पूर्ण, स्वीकृति के लिए भेजेंगे डीपीआर

बदनावर कानवन के पूर्वी क्षेत्र में बहने वाली चामला नदी पर डैम की तो स्वीकृत नहीं मिल पाई है, लेकि न पिछले दिनों ग्राम खरेली व जलोद में दो बैराज निर्माण के प्रस्ताव जरुर स्वीकृत हुए हैं। इसके लिए जल संसाधन विभाग द्वारा गत दिनों सर्वे कि या गया है। अब डीपीआर रिपोर्ट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजी जाना है। उम्मीद है कि जल्दी ही स्वीकृति मिल जाएगी। इससे बारिश के पूर्व बैराज बनकर तैयार हो जाएंगे। इनके बनने से जलसंकट दूर होने के साथ ही सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। क्षेत्रवासियों में हर्ष है। चामला नदी उत्तर से पूर्व की ओर बहती है। चामला नदी का उद्गम स्थल आहू व अकोदिया के पास से है। जहां से यह नदी बहती हुई नागदा, भाटखरेली से पडुनिया होकर सुकलाना में उज्जैन जिले में प्रवेश कर जाती है। इस नदी के कि नारे अनेक गांवों की आबादी निवासरत हैं तथा बड़ा क्षेत्र कृषि भूमि का होने से डैम की मांग की जा रही थी, कि ंतु दो बैराज बनाने के लिए सर्वे होने पर भी क्षेत्रवासियों को फोरी राहत मिली है। ग्राम खरेली में चामला नदी पर 4 करोड़ 80 लाख की लागत से बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसकी ऊंचाई 4 मीटर तथा चौड़ाई करीब 150 से 200 मीटर के लगभग पहुंचेगी। नदी के पाट की चौड़ाई होने से इस बैराज की जलग्रहण क्षमता करीब 6 कि मी तक रहेगी। वहीं ग्राम जलोद में प्रस्तावित बैराज की लागत 3 करोड़ 50 लाख रुपये होगी। इसकी जलग्रहण क्षमता भी नागदा के विश्राम गृह के पास बने डैम तक रहेगी। चामला नदी पर डैम बनाने की मांग करीब 20-25 साल से की जा रही है, लेकि न अब तक डैम बनने की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। हालांकि इसके लिए सर्वे भी हो चुका था, लेकि न तकनीकी दिक्कतों का हवाला देते हुए डैम बनने की योजना अधर में अटक गई। अब दो बैराज बनने से कु छ हद तक क्षेत्रवासियों को इसका लाभ जरुर मिलेगा। डीपीआर बनने के बाद टेंडर प्रक्रिया होगी जल संसाधन विभाग के उपयंत्री डीएस गेहलोत ने बताया कि चामला नदी पर दो बैराज निर्माण के लिए सर्वे पूर्ण कर रिपोर्ट वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित कर दी गई है। डीपीआर बनने के बाद टेंडर प्रकि या होगी। इसके बाद ही निर्माण का रास्ता साफ हो पाएगा।